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मैं ''इश्क़'' लिखूं तुझे हो जाए...





चल आ इक ऐसी ''नज़्म'' कहूं,
जो ''लफ़्ज़'' कहूं वो हो जाए..
मैं ''अश्क'' कहूं तो इक आंसू ,
तेरे गोरे ''गाल'' को धो जाए..
मैं ''आ'' लिखूं तो आ जाए,
मैं ''बैठ'' लिखूं तो आ बैठे..
मेरे ''शाने'' पर सर रखे तो,
मैं ''नींद'' कहूं तो सो जाए..
मैं काग़ज़ पर तेरे ''होंठ'' लिखूं ,
तेरे ''होठों'' पर मुस्कान आए..
मैं ''दिल'' लिखूं तू दिल थामे,
मैं ''गुम'' लिखूं वो खो जाए..
तेरे ''हाथ'' बनाऊं पेंसिल से,
फिर ''हाथ'' पे तेरे हाथ रखूं..
कुछ ''उल्टा-सीधा'' फ़र्ज़ करूं
कुछ ''सीधा-उल्टा'' हो जाए..
मैं ''आह'' लिखूं तो हाए करे,
''बेचैन'' लिखूं बेचैन हो तू ..
फिर मैं बेचैन का ''बे'' काटूं ,
तुझे ''चैन'' ज़रा सा हो जाए..
अभी ''ऐन'' लिखूं तू सोचे मुझे,
फिर ''शीन'' लिखूं तेरी नींद उड़े..
जब ''क़ाफ़'' लिखूं तुझे कुछ-कुछ हो,
मैं ''इश्क़'' लिखूं तुझे हो जाए
#आमिर_अमीर

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